Wednesday, April 17, 2024
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karva chauth पर इस बार बन रहा है अद्भुत संयोग, जाने चॉद के निकलने का समय

जी, हां इस बार karva chauth के दिन बहुत ही बन रहा है। करवा चौथ पर जहां एक तरफ चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृष में रहेंगे, वहीं इस बार शाम चंद्रमा की पूजा के समय रोहिणी नक्षत्र होगा, यह नक्षत्र सुहागिन महिलाओं के लिए खास होता हैं।

इसी दिन सिद्धि योग भी बन रहा है, यह पूजा के लिए अत्यंत शुभ योग बना है। करवा चौथ की कथा और पूजा का समय शाम 6 बजकर 01 मिनट से 07 बजकर 15 मिनट तक रहेगा।

चंद्रमा के निकलने का टाइम

  • 13 अक्टूबर की रात 1 बजकर 59 मिनट पर।
  • यह 14 अक्टूबर को रात 3 बजकर 08 मिनट तक रहेगी।
  • पूजा का मुहूर्त:– शाम 6 बजकर 17 मिनट से 7 बजकर 31 मिनट तक
  • अवधि 1 घंटा 13 मिनट
  • करवा चौथ का व्रत सुबह 6 बजकर 32 मिनट से रात 8 बजकर 48 मिनट तक
  • करवा चौथ को चंद्रोदय :- रात 8 बजकर 48 मिनट पर

karva chauth की कहानी

एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। सेठानी के सहित उसकी बहुओं और बेटी ने karva chauth का व्रत रखा था। रात्रि को साहूकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन के लिए कहा। इस पर बहन ने बताया कि उसका आज उसका व्रत है और वह खाना चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर ही खा सकती है।

सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। जो ऐसा प्रतीत होता है जैसे चतुर्थी का चांद हो। बहन ने अपनी भाभी से भी कहा कि चंद्रमा निकल आया है व्रत खोल लें, लेकिन भाभियों ने उसकी बात नहीं मानी और व्रत नहीं खोला।

बहन भाईयों की चतुराई समझ नही पाई

बहन को अपने भाईयों की चतुराई समझ में नहीं आई और उसे देख कर करवा उसे अर्घ्‍य देकर खाने का निवाला खा लिया। जैसे ही वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और तीसरा टुकड़ा मुंह में डालती है तभी उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बेहद दुखी हो जाती है।

उसकी भाभी सच्चाई बताती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं। इस पर करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी।

शोकातुर होकर वह अपने पति के शव को लेकर एक वर्ष तक बैठी रही और उसके ऊपर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रही। उसने पूरे साल की चतुर्थी को व्रत किया और अगले साल कार्तिक कृष्ण चतुर्थी फिर से आने पर उसने पूरे विधि-विधान से करवा चौथ व्रत किया, जिसके फलस्वरूप करवा माता और गणेश जी के आशीर्वाद से उसका पति पुनः जीवित हो गया।

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