शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन यानी कि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर मां दुर्गा का दूसरे स्वरूप Maa Brahmacharini की पूजा की जाती है। देवी ब्रह्मचारिणी तप, संयम और त्याग का प्रतीक हैं। आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मंत्र, शुभ योग और कथा।
Maa Brahmacharini पूजा 2022 मुहूर्त
- अश्विन शुक्ल द्वितीया तिथि शुरू – 27 सितंबर 2022, सुबह 03.08
- अश्विन शुक्ल द्वितीया तिथि समाप्त – 28 सितंबर 2022, सुबर 02.28
- ब्रह्म मुहूर्त – सबुह 04:42 – सुबह 05:29
- अभिजित मुहूर्त – सुबह 11:54 – दोपहर 12:42 पी एम
- गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:06 – शाम 06:30
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में लाल रंग का ज्यादातर उपयोग करें। स्नान के बाद लाल वस्त्र पहने।
- जहां कलश स्थापना की है या फिर पूजा स्थल पर मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं और मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करते हुए उन्हें रोली, अक्षत, हल्दी अर्पित करें।
- देवी को पूजा में लाल रंग के फूल चढ़ाएं। माता की चीनी और पंचामतृ का भोग लगाएं। फल में सेब जरूर रखें। अगरबत्ती लगाएं और देवी के बीज मंत्र का 108 बार जाप करें
- नवरात्रि में प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने बहुत शुभ माना गया है। अंत में देवी ब्रह्मचारिणी की कपूर से आरती करें।
मां ब्रह्मचारिणी कथा
पौराणिक कथा के अनुसार Maa Brahmacharini ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए एक हजार साल तक तक फल-फूल खाएं और सौ वर्षों तक जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया। ठंड,गर्मी, बरसात हर ऋतु को सहन किया लेकिन देवी अपने तप पर अडिग रही। टूटे हुए बिल्व पत्र का सेवन कर शिव की भक्ति में डूबी रहीं। जब उनकी कठिन तपस्या से भी भोले नाथ प्रसन्न नहीं हुए, तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए।
महादेव को पाने के लिए कई हजार सालों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं। मां की कठिन तपस्या देखकर सभी देवता, मुनियों ने उनकी मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद दिया। इस कथा का सार ये है कि अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए कठिन समय में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए तभी सफलता मिलती है।
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