मेरठ, सीएनए। यूपी पीसीएस-2020 परीक्षा में सफलता हासिल करने वाली लता के संघर्ष की कहानी किसी भी असफल और हार मार चुके व्यक्ति को हौसला दे सकती है। मेरठ की रहने वाली लता पीसीएस परीक्षा 2020 पास कर अब डीआईओएस यानी डिस्ट्रिक्ट इंस्पेक्टर ऑफ स्कूल बनने वाली है।
इनके संघर्ष की दास्तान और कामयाबी की उड़ान जानकर आप सलाम करेंगे. अनपढ़ मां ने अपनी बेटी को आज डीआईओएस के पद तक पहुंचा दिया। वह इस सफलता का श्रेय अपनी मां और पति, दोनों को देती हैं। वह कहती हैं, मां ने सपनों को पंख दिया तो पति ने आकाश।
लता अपने लक्ष्य के लिए संघर्ष कि 2018 में शादी हो गई। लेकिन इनका हौसला जरा भी कम नहीं हुआ। शादी के बाद उन्होंने 2019 और 2020 में लगातार पीसीएस परीक्षाएं पास कीं। 2019 में लता को डिप्टी जेलर का पद मिला था तो इस बार डीआईओएस का पद मिल रहा है।
लता बताती हैं कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण 12वीं के बाद ही उन्हें पोस्ट ऑफिस में क्लर्क की नौकरी करनी पड़ी थी. लेकिन पढ़ृाई जारी रखा। प्राइवेट बीए और इसके बाद इग्नू से एमए किया। इसके बाद उन्होंने 2015 में पहली बार पीसीएस की परीक्षा दी। पहले ही प्रयास में वह इंटरव्यू राउंड तक पहुंचने में कामयाब रहीं। लेकिन फाइनल सेलेक्शन नहीं हो पाया। इस बीच उनकी पोस्ट ऑफिस में क्लर्क की नौकरी जारी रही. 2016 में दूसरा अटेंप्ट किया। लेकिन इस बार प्रारंभिक परीक्षा ही क्रैक नहीं हो पाई। तैयारी जारी रही। इस बीच साल 2018 में उनकी शादी भी हो गई।
पीसीएस-2019 में बनी थीं डिप्टी जेलर
लता ने बताया कि शादी के बाद उनके पति ने हर कदम पर सहयोग किया. 2019 पीसीएस में डिप्टी जेलर का पद मिला। इसका फाइनल रिजल्ट भी इसी साल आया है। हालांकि इससे पहले वह डिप्टी जेलर के पद पर ज्वाइन करतीं, पीसीएस- 2020 का फाइनल रिजल्ट आ गया। लता का कहना है उनके पति ने ये कहावत बदल दी कि हर सफल व्यक्ति के पीछे एक महिला का ही हाथ हो सकता है। क्योंकि उनकी सफलता के पीछे उनके पति का हाथ है।
धैर्य और खुद पर भरोसे से मिली सफलता…….
आमतौर पर कोई और होता तो शादी के बाद पोस्ट ऑफिस में क्लर्क की नौकरी से ही ख़ुश रहता. लेकिन लता ने अपना अटल विश्वास बनाए रखा। और कामयाबी के उसी विश्वास का नतीज़ा है कि आज वो डीआईओएस बनने जा रही है। कामयाबी की इस लता पर सभी को नाज़ है। लता आज कई अऩ्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है जो शादी के बाद परिस्थितियों के सामने हार मान जाती है। और नियति में यही लिखा था।