वॉशिंगटन, सीएनए। अमेरिकी राष्ट्रपति ने H-1B वीजा को लेकर एक नया आदेश जारी किया है, जिसे भारतीयों (Indians) के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। ट्रंप प्रशासन ने दूसरे देशों के कुशल श्रमिकों को दिए जाने वाले वीजा की संख्या घटाने का फैसला किया है।
सरकार का कहना है कि यह कदम अमेरिकियों के हितों की रक्षा के लिए उठाया गया है, जिन्हें कोरोना महामारी के चलते आर्थिक मोर्चे पर नुकसान उठाना पड़ा है। अधिकारियों के मुताबिक, H-1B नॉन-इमिग्रेंट के कारण 500,000 से अधिक अमेरिकियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। अमेरिका में 3 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होने हैं, ऐसे में ट्रंप के इस फैसले को वोटरों को लुभाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
एक तिहाई भारतीय होंगे वंचित
H-1B वीजा हर साल 85,000 प्रवासियों को दिया जाता है, जिसमें भारतीय और चीन के प्रोफेशनल्स की तादाद सबसे ज्यादा होती है. इसलिए ट्रंप प्रशासन के इस कदम का सबसे ज्यादा प्रभाव इन्हीं दोनों देशों पर पड़ेगा। होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट (DHS) के कार्यवाहक उप सचिव केन क्यूकेनेली ने कहा कि डीएचएस का अनुमान है कि लगभग एक तिहाई एच-1बी आवेदकों को नए नियमों के तहत वीजा से वंचित रखा जाएगा।
नए नियमों में इस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाये गए
होमलैंड सिक्योरटी और श्रम विभाग के मुताबिक, नए नियमों में इस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाये गए हैं कि वर्क वीजा किसे दिया जा सकता है. साथ ही विदेशी श्रमिकों को नौकरी पर रखने वाली कंपनियों के लिए वेतन संबंधी कुछ मानक भी तय किये गए हैं। होमलैंड सिक्योरटी का कहना है कि नए नियमों के तहत ‘विशेष व्यवसायों’ की परिभाषा को भी बदला गया है। क्योंकि कंपनियां इसके जरिए सिस्टम का गलत फायदा उठाती थीं।